जहा अभी हमारा घर है वहा पास में ही ढेर सारे खेत और इमली के पेड हुआ करते थे, एक बावडी भी थी जिसके आस पास इमली के पेड़ों का एक झुण्ड भी था और उस पूरी जगह के बारे में ये मशहूर था की वहां भूत रहते हैं.
ऐसे एक दो वाकये भी सुनने को मिले थे जब ये देखने में आया था की फलाना इंसान आज वहा बैठा था और फिर उसकी तबियत खराब हो गई,. और इस सब से लोगो की भूत होने वाली भावना को भी प्रबल बल मिलता था,
सच्चाई ये है की इमली के पेड के नीचे की हवा में carbon die oxide की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है और उसके साथ ही वहाँ की हवा थोड़ी अम्लीय (acedic ) भी होती है और इसके कारण वहा आराम करने वाले व्यक्ति के शरीर में प्राण वायु Oxygen की मात्रा कम हो जाती है और अम्ल की मात्रा थोड़ी बढ़ जाती है जिसकी वजह से इंसान को चक्कर आते हैं और शरीर पूरी तरह से शिथिल हो जाता है. पुराने वैधो ने इस बात को भूत के डर से जोड़ कर लोगो को इमली के पेडो के नीचे आराम करने से रोकने की कोशिश की थी.
और जो शारीरिक शिधिलता और दूसरी ऐसी तकलीफे होती है वो थोड़े समय में ठीक हो जाती है लेकिन तब तक लोग सारा झाड फूक कर चुके होते है और थोड़े समय बाद इंसान अपने आप ठीक हो जाता है और लोग मानते हैं की प्रेत बाधा ठीक हो गई है
उम्मीद है ये जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी
" jankari bhari post ..aur jis tarha se aapne likha hai vahi kabile tarif hai .. science ki ye baat to hum bhi bhool gaye the ..bahut hi acchi post "
ReplyDeletetahe dil se badhai
--- eksacchai {AAWAZ }
bahut accheee jankariya hain... great work....
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